इन्सान के रूप में दानव(आतंकवादी)

कहते है कि आज भी  इस दुनिया  में बुरी शक्ति व्याप्त है, मतलब की नेगेटिव एनर्जी…जो हमारे आसपास होती है ….जो हमें दिखाई नही देती…….जिन्हेे  हमारे पूर्वज उनको दानव भी कहते है तो कुछ लोग उनको राक्षस , नरभक्षी कहते है….और हमारा समाज उनको भूतो का भी नाम दे देते  है ….उनसे बचने के लिेए हमारे समाज के लोग झाड़-फूंक, तो मन्दिर जाना , पूजा- पाठ और तरह तरह के बंवड़र फैलाते है…..

पर मै आज उसी समाज के सामने एक सवाल खड़ा करना चाहती हूँ….आखिर हम क्यूँ…….उस अनदेखे ,अनजाने  दानव को मिटाने मेें लगे हुए है…..जो वास्तव में है …ही ..नही। लेकिन उस राक्षस ,उस दानव को नही देखते है जो हमारे समाज , जो हमारे आसपास के लोगो में व्याप्त है….कुछ जगह तो हमारे खुद के भीतर भी घुसा हुआ हैै……

उस दानव रूपी इन्सान को हम कई बार देखते हुए भी अनदेखा कर देते है….और आज यही आतंक के रुप में उभरकर हमारे सामने आ रहा है……कहाँ से आते है इतने खूंखार आंतकवादी..कई बार ये सवाल हम सबने  किया ……लेकिन इस सवाल का कोई ठोस जवाब नही मिल पाता है….वो इसलिए कि सवाल हम दूसरो से करते है …दूसरो से करने की बजाय अगर हम खुद से करे तो ….इस सवाल का जवाब बहुत आसानी से मिल जायगा…..

आज जो ये दानव रूपी आतंकवादी हमारे देश, हमारे समाज , हमारे वीर जवानो को  काले नाग की तरह डस रहा है ….ये सब इन्सानों का ही तो किया धरा है….जो आतंकवाद का कड़वा जहर घोल रहा है…जो इन्सान चारो तरफ से उस कड़वे जहर को धीरे-धीरे पी रहा है…..कोई जानबूझकर, तो कोई जाने-अनजाने में ,तो कोई दहशतगर्दी में , तो कोई मजबूरी में …..सभी लोग इस जहर को अपने -अपने तरीके से बनाते है और उसी को पीते है…..लोगों में फैैली एक- दुसरे के प्रति नफरत , और अलग -अलग धर्म , जात- पात ,भेदभाव ….ही तो लोगो को एक-दुसरे का दुश्मन बनाती है ….और खतरनाक आतंकवादी भी…..

आतंकवादी की कोई जात-पात नही होती है और ना ही कोई धर्म ….बस उनके बुरे कर्म ,उनकी बुरी आदत उनको आतंकवादी बनाती है…कई बार कुछ इन्सानो का ये खतरनाक रूप ले लेने में  हम स्वंय भी मजबूर होते है…और कई बार गरीबी , लोभ-लालच , आकर्षण भी आतंकवादी बनने के मूल कारण रहे है…..इस आतंक को जड़ से मिटाने के लिए सभी बुराई को हमें घर से खात्मा करना होगा……हमारे आस-पास की हीनता को समाप्त करनी होगी…..धर्मो को बाँटने की बजाय उनको साथ लेकर चलना होगा….

जहाँ एक ओर देश की सीमा पर डटकर मुकाबले कर रहे जवान आतंक का सफाया कर रहे है तो वही दुसरी ओर हमें लोगो के बीच रह कर लोगो को आतंकवादी बनने से रोकना होगा ….हमको आतंकवादी से नफरत नही करनी चाहिए बल्कि उसमें छिपी बुराई…और जो उसको आतंकवादी बनने को मजबूर कर रही है उस परिस्थिति से नफरत करनी चाहिए ….अगर आने वाले समय में हमें अपने देश , देश के लोगो को बचाना है तो इस आतंक के रैकेट को बढ़ने से रोकना होगा…इस के लिए हम सभी इन्सानों को अपने घर से , अपने परिवार से ,अपने समाज से ,और फिर अपने देश से शख्त कदम उठाना होगा…

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